जहां में जितनी भी इज़्ज़त है, सिर्फ़ दाम की है
ये बात जान लो लोगों, ये बात काम की है।
तमाम झूठ है, फ़रेब है, बेवफ़ाई है,
हमारे बीच रिश्ते तो बस नाम की है
कही पे जाके भुगतनी पड़ेगी, ध्यान रहे।
तुम्हारे पास भी दौलत, अगर हराम की हैं।
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| Love poetry |
दुःख अपना अगर हमको बताना नहीं आता।
तुमको भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
होशियारी दिल ए नादान बहुत करता है
ग़म कम सहता है, ऐलान बहुत करता है
रात को जीत तो पता नहीं ये चिराग़ लेकिन
कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है।
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
आंसू ना बहाऊंगा
सिर्फ मुस्कराउँगा
कह देना भाग्य से
कल मैं लौट आऊंगा
मेरे घर की खिड़कियां खुलती नहीं तो मैने आसमां देखा नहीं
सुना है वहां परिंदों को आज़ादी है उड़ने की धूप को आदत है जमीं तक आने की
सुना है आसमां भी रंग बदलता है
और चांद हमेशा साथ चलता है
जमीनों के हिस्से हो गए, और जिनको हिस्से नहीं मिले उनके हिस्से आसमां आता है
आसमां को देखते ही बिछड़ने वालों का कारवां याद आता है
तो जब होगा नया घर, और खुलेगी खिड़कियां
मेरी जमीं के बदले मैं आसमां मांगूंगा
चांद आज़ादी और बिछड़े लोगों का कारवां मागूंगा ।
उसके दुश्मन है बहुत,
आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी तरह शहर में तन्हा होगा
प्यास जिस नहर से टकराई वो बंजर निकली
जिसको पीछे कही छोड़ आए वो दरिया होगा
एक महफ़िल में कई महफिलें होती है शरीक
जिसको भी पास से देखोगे अकेला होगा।
कुछ कर गुजरने के गुमान में,
ज़िंदगी कट रही है किराए के मकान में ..
गांव को छोड़कर शहर को आबाद कर रहे है,
जवानी जैसी चीज को ऐसे ही बर्बाद कर रहे है
ये दुनियां की मोह माया है, क्या गलत क्या सही है,
खुद हो जानता होगा, वो है भी....... या नहीं है ...
अकेले चलना होता रास्ते पर तो भागते हम,
कल काम पर नहीं जाना होता तो जागते हम,
पिंजरे में सिर्फ़ मै नहीं पूरा परिवार फंसा है,
यार जिम्मेदारियों से गला कसा है,
एक दिन रस्सी टूटेगी,
जिस तरफ मन करेगा मुड़ेंगे,
उड़ेंगे आसमान में और घर लेके उड़ेंगे
जो दिख जाय वो अंधेरा कैसा?
रूह में ना उतरे, तो चेहरा कैसा?
दिल , दरिया, वक्त, ख्याल, ये अकेलापन,
कोई डूब के ना मर जाय तो गहरा कैसा ?

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